सुलतानपुर/कासगंज/लखनऊ। अधिवक्ता मोहिनी तोमर की निर्मम हत्या से सहमा पूरा प्रदेश। हत्या को लेकर पूरे अधिवक्ता समाज मे आक्रोश। प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था को लेकर अधिवक्ताओं में उबाल। आज प्रत्येक जिलों में दिख सकता है इस घटना के विरोध का असर।महिला अधिवक्ता की हत्या व अधिवक्ता समाज के प्रति हो रहे उत्पीड़न को लेकर आंदोलन पर उतर सकते है अधिवक्ता।
मिली जानकारी के मुताबिक अधिवक्ता मोहिनी तोमर जिला न्यायालय-कासगंज में करती थी प्रैक्टिस। बीते तीन सितम्बर को वह कोर्ट परिसर के निकट से अचानक हो गई थी गायब। घर न पहुँचने पर व उनका मोबाइल स्विच ऑफ जाने पर अनहोनी की आशंका को लेकर उनके पति बृजेन्द्र तोमर ने सदर कोतवाली में दर्ज कराई थी गायब होने की सूचना।
कहने के लिए घटना की जानकारी मिलने के बाद से ही पुलिस गायब अधिवक्ता मोहिनी तोमर के बारे में लगा रही थी पता,लेकिन पुलिस नहीं लगा सकी थी कोई सुराग। बुधवार की रात कासगंज जिला अंतर्गत सहावर कोतवाली क्षेत्र स्थित रजपुरा नहर में स्थानीय लोगो व राहगीरों ने किसी महिला का शव नहर में होने की पुलिस को दी सूचना तो पहुँची पुलिस ने शव को लिया कब्जे में।
अधिवक्ता मोहिनी तोमर के पति बृजेन्द्र तोमर ने बरामद शव को की अपनी पत्नी का ही शव होने की पुष्टि। महिला अधिवक्ता के मृत शरीर पर दिख रहे कई चोट के निशान। पुलिस ने शव का पंचायतनामा कराकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। किसी रंजिश को लेकर अधिवक्ता मोहिनी तोमर का अपहरण कर हत्या करने का प्रथमदृष्टया दिख रहा मामला। महिला अधिवक्ता के गायब होने की सूचना मिलने के बाद से ही आगरा जिले की अधिवक्ता व बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की प्रत्याशी सरोज यादव व राधा यादव समेत अन्य लगातार सोशल मीडिया पर अधिवक्ता के साथ हुई इस घटना पर दोषियों को चिन्हित कर उनकी शीघ्र गिरफ्तारी करने व उन्हें बड़ी सबक देने के लिए उठा रहे मांग।
अधिवक्ता के साथ हुई बड़ी वारदात की वजह से फिर गरमाया एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का मुद्दा। अधिवक्ता समाज पहले भी कई बार उठा चुका है इस एक्ट को लागू करने का मुद्दा, लेकिन प्रत्येक बड़ी घटना के बाद हर बार सिर्फ मिलता है आश्वासन। तमाम चुनौतियों का सामना कर पीड़ितों को न्याय दिलाने वाला अधिवक्ता समाज अपने ही समाज के कुछ गलत लोगो की वजह से भटक रहा न्याय के लिए।
अधिवक्ता समाज अपने मुद्दों को हर स्तर पर उठाने व अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए मुख्य रूप से जिला स्तर पर प्रत्येक वर्ष अध्यक्ष व महासचिव का एवं प्रदेश स्तर पर पांच वर्ष के लिए बार काउंसिल ऑफ यूपी के सदस्यों का करता है चुनाव। लेकिन चुने गये सदस्यों में से कुछ की गलत नीतियों व उनके व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते नहीं मिल पा रहे आपेक्षित सहयोग की वजह से अधिवक्ताओ से जुडी हितकारी योजनाएं नहीं लागू हो पाने की मिल रही जानकारी।
सूत्रों की माने तो अधिवक्ताओं के जरिये चुनकर पद पर बैठने के बाद अधिकतर पदाधिकारी भूल चुके है अधिवक्ता समाज के प्रति अपना दायित्व। चुने गए कुछ लोगो के जरिये सत्ता के करीब रहकर अधिवक्ता समाज के बजाय अपना व्यक्तिगत हित सिद्ध करने व उनके जरिये सरकार की गलत नीतियों में भी अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने की हो रही चर्चा। ऐसे पदाधिकारी इस बार अधिवक्ताओं के रहेंगे निशाने पर। भविष्य में होने वाले चुनाव में ऐसे गैर जिम्मेदार लोगो को मिल सकती है बड़ी सबक,मौके पर अधिवक्ता समाज देगा जवाब। बार काउंसिल ऑफ यूपी के सदस्य पद का चुनाव भी समय से न होने पर तरह-तरह की हो रही चर्चाएं। देखना है महत्वपूर्ण पदों पर बैठे पदाधिकारी अधिवक्ता मोहिनी तोमर के साथ हुई इस घटना में क्या अदा करते है भूमिका,जल्द ही सब कुछ आएगा सामने।