लखनऊ। शिक्षक दिवस के अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा पूरे उत्तर प्रदेश में “न्याय दिवस” मनाया गया और मांग की गई कि जाति जनगणना करवाई जाए।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य मुख्यालय से राज्य सचिव मंडल की ओर से जारी एक बयान में पार्टी के राज्य सचिव एवं पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कामरेड अरविन्द राज स्वरूप ने बताया कि शिक्षक दिवस के अवसर पर आज पार्टी के द्वारा पूरे राज्य में “न्याय दिवस” मनाया गया है। “न्याय दिवस” का प्रमुख मुद्दा और मांग है कि भारत सरकार शीघ्रता शीघ्र जाति जनगणना करवाये।
इस अवसर पर विभिन्न जिलों में धरने प्रदर्शन जुलूस आयोजित करके पार्टी के कार्यकर्ताओं ने महामहिम राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को ज्ञापन प्रस्तुत किया है जिसको ज़िलाधिकारियों के माध्यम से प्रेषित किया गया है।
बयान में कहा गया कि जाति जनगणना करवाने से भारतीय जनता पार्टी की सरकार डर रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ डबल बात करता है। एक सांस में दो बात बोलता है ।उसने कहा है कि जनगणना तो हो सकती है परंतु राजनीति ना हो। कोई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पूछे कि वह तो सांस्कृतिक संगठन है पर वास्तविकता यह है कि वह खुलकर 24 घंटे राजनीति करता है और अपने को कहता है कि वह सांस्कृतिक संगठन है। राजनीति यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी करें तो वह ठीक है। यदि राजनीति करने वाले विपक्ष न्याय की बात उठाएं तो उनको कहा जाए कि इस मसले में राजनीति हो रही है।
पूरा भारत भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीति को अच्छी तरीके से समझ रहा है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सबसे पहली पार्टी होती है जो देश के सम्मुख और जनता के लिए प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक आर्थिक मुद्दों को उठाती है और लोगों को संगठित करती है और अभियान चलाती है।
5 सितंबर को न्याय दिवस मनाने का यही अभिप्राय है।
भारतीय जनता पार्टी जुमले के रूप में सबका साथ सबका विकास का नारा तो देती रहती है परंतु वह नारा खोखला है ।सदियों सदियों से हमारे देश की बनावट ऐसी है कि उसके सामाजिक जीवन में असमानता मौजूद है। भारत एकमात्र देश है जिस देश में अमीर गरीब का अंतर तो है ही साथ ही साथ व्यक्ति की पैदाइश में उसकी जाति से उसका भविष्य तय होता है। ऊंच नीच का कारोबार चलता है । ऊंच-नीच की व्यवस्था से करोड़ों लोगों को सामाजिक बराबरी से वंचित कर दिया है।
आधुनिक भारत में संविधान निर्माताओं ने उसको तोड़ा और 1950 में रिजर्वेशन की व्यवस्था की। फिर इस व्यवस्था का विकास हुआ और श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने पिछड़ों का आरक्षण सुनिश्चित किया।
सामाजिक न्याय तभी मिल सकता है जब देश के 140 करोड लोगों की वैज्ञानिक सांख्यिकी के आंकड़े हमारे पास मौजूद हों और समाज को पता हो कि किस जाति के कितने लोग हैं और कितने लोग पिछडे हैं या कितने लोगों को पिछड़ा रखने के लिए अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था ने मजबूर किया है, फिर ऐसे यत्न किए जाएं कि वह सामाजिक पिछड़े पन से उबरे और एक ऐसी व्यवस्था हो कि समाज का हर व्यक्ति सामाजिक रूप से बराबर हो और चाहे इस काम के लिए 10-20 पीढ़ियां भी लग जाए सैकड़ो वर्ष बीत जाए पर यह काम एक न एक दिन प्रारंभ किया ही जाना चाहिए।
संविधान निर्माताओं ने इस व्यवस्था को 1950 में प्रारंभ किया था अब इसको और आगे ले चलने की आवश्यकता है देश की आजादी के 75 वर्ष हो चुके हैं। अब किसी भी प्रकार की देरी करना देश की जनता के साथ अन्याय होगा। जब सामाजिक न्याय मिलेगा तो गरीबी और अमीरी की भी असमानता दूर होगी।
हमारे देश में एक तरफ यह अन्याय है तो दूसरी तरफ हमारे प्रदेश के किसान, मजदूर, दलित , पिछडे,छात्र ,युवा, महिलाएं ,गरीब वर्ग के लोग पूरी तरह से सामाजिक आर्थिक शैक्षिक रूप से निचले पायदान पर खड़े होने को मजबूर है।
समाज को बेरोजगारी,महंगाई बुरी तरह से डस रही है। समाज में दलित ,महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अत्याचार की घटनाएं रोज प्रकाश में आती है।एक तरफ गरीब और गरीब होता जा रहा है और अडानी अंबानी जैसे कॉरपोरेट फल फूल रहे हैं और जिनको ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार, सरकारी संपत्तियों , कारखानो को लुटा रही है।
इन समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए और जनता को बांटने के लिए भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेता और उत्तर प्रदेश के नेता धार्मिक ध्रुवीकरण करने के जहरीले भाषण देते हैं। जनता को इससे होशियार रहने की आवश्यकता है ।
इस अन्याय के विरुद्ध पार्टी का प्रदेशव्यापी डंका है और पार्टी पूरे प्रदेश की जनता के लिए न्याय मांग रही है।
बयान में कहा गया कि न्याय दिवस के रूप में आज महामहिम राष्ट्रपति एवं महामहिम राज्यपाल को विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन भी प्रस्तुत किए गए हैं।
ज्ञापन में सबसे प्रमुख मांग है कि जाति जनगणना तत्काल करवाई जाए ,सरकारी संपत्तियों को बेचना बंद किया जाए, जनता को बिना भेदभाव के राशन कार्ड जारी किए जाएं, भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए, किसानों के समस्त कर्ज़े माफ किए जाएं तथा एएमएसपी की गारंटी की जाए , मजदूरों के विरुद्ध बनाए गए कानूनो को निरस्त किया जाए , पुरानी पेंशन बहाल की जाए, इंडस्ट्रियल पेंशन का निस्तारण किया जाए और उसको महंगाई भत्ते से जोड़ा जाए,मनरेगा मजदूरों को₹600 प्रतिदिन की मजदूरी दी जाए तथा साल में 300 दिन कार्य दिया जाए और मनरेगा के बजट में कटौती बंद की जाए।
निजीकरण के कारण शिक्षा एवं स्वास्थ्य में हो रही लूट को तत्काल बंद किया जाए, नजूल भूमि कानून में परिवर्तन को रोका जाए ,सरकार के द्वारा वक्फ बोर्ड में प्रस्तावित परिवर्तन निरस्त किए जाएं, ग्रामीणों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध करवाई जाए तथा आवारा पशुओं से फसलों की रक्षा की जाए, बुलडोजर से संपत्तियों को रौंदना बंद किया जाए, सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस में भागीदारी करने की छूट तुरंत निरस्त की जाए, प्रदेश के कुछ भागों में भयंकर बाढ़ है उनकी मदद के लिए तत्काल सरदार कदम उठाए जाएं , किसानों को ट्यूबवेल के लिए मुफ्त बिजली दिए जाने का वायदा पूरा किया जाए, जनता को अंधविश्वासों से बचने के लिए स्कूलों से ही वैज्ञानिक सोच को विकसित किया जाए, भारत के संविधान को बदलने एवं लोकतंत्र को समाप्त करने की तथा विरोधियों को तथा विरोधियों को सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल करके जेल में डालने की कार्यवाहियां समाप्त की जाए।
बयान में कहा गया कि समाचार लिखे जाने तक गाजीपुर ,मऊ,गोरखपुर,महाराजगंज , बांदा ,चित्रकूट, सोनभद्र, झांसी ,जालौन, फतेहपुर, लखनऊ,हाथरस, जौनपुर,कानपुर, उन्नाव ,बरेली ,इलाहाबाद, आगरा, मुजफ्फरनगर ,मेरठ, गाजियाबाद, बाराबंकी, मुरादाबाद, पीलीभीत, प्रतापगढ़ ,अलीगढ ,मथुरा,फैजाबाद अयोध्या, भदोई से धरने प्रदर्शन मीटिंग तथा ज्ञापन देने के समाचार प्राप्त हो चुके हैं ,यद्यपि कार्यक्रम पूरे प्रदेश में संपन्न हुआ है।