लखनऊ। प्रदेश के श्रम न्यायालय और औद्योगिक न्यायाधिकरण में रिक्त पीठासीन अधिकारियों के पदों पर नियुक्ति के बजाय एक बार फिर विभिन्न श्रम न्यायालय में पदासीन पीठासीन अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देकर सभी श्रम न्यायालयों को भरा हुआ दर्शाने का प्रयास किया गया है।
इससे श्रम विवादो के निपटारे में तेजी नही आयेगी बल्कि जिन न्यायालय में काम सुचारू रूप से चल रहा था वहां भी बाधित होगा और वादों में सुनवाई की तिथियां लंबी होंगी। सरकार पुराने अनुभव से सीखा नही लेती और मजदूरों के मामलों में कामचलाऊ और टाल मटोल का ही रवैया अपनाती है जिससे मजदूरों को न्याय से वंचित होना पड़ता है।
सरकार के इसी मजदूर विरोधी रवैए के खिलाफ आज ट्रेड यूनियन संघों और श्रम कानून सलाहकार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक आज अपर श्रमायुक्त कार्यालय परिसर में एसोसिएशन सभागार में संपन्न हुई। बैठक का एजेंडा रखते हुए बैठक के संयोजक और हिंद मजदूर सभा के प्रदेश मंत्री अविनाश पांडेय ने कहा की केंद्र और प्रदेश की सरकार गरीब और मजदूर की चिंता कितनी करती है।
यह इसी से पता चलता है की देश में 22 में से 11 केंद्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण और श्रम न्यायालय में पीठासीन अधिकारियो के पद वर्सों से खाली हैं। लखनऊ CGIT के पीठासीन अधिकारी को चेन्नई और कानपुर की भी जिम्मेदारी निभानी पड़ती हैं।
प्रदेश के 9 श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारियो और एक आद्योगिक न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी को ग्यारह न्यायाधिकरण/श्रम न्यायालय का अतिरिक्त प्रभार सोनम दिया गया है, जो हफ्ते में कही एक दिन कही दो दिन और बाकी तीन दिन काम करेंगे।
श्रम न्यायालय, न्यायाधिकरण और श्रम विभाग को न्यूनतम आवश्यक स्टाफ तथा आधारभूत सुविधाओं की भी भारी कमी हैं। स्टेशनरी, डाक, टिकट और उपकरणों के रख रखाव के लिए भी पर्याप्त बजट नही है।
राजधानी लखनऊ में श्रम विभार के कार्यालय में रिकार्ड रूम तक नहीं है जहां पुरानी पत्रवालियोका रखा रखाव किया जा सके । उन्होंने कहा कि जानबूझ कर श्रम विभाग और उसकी न्यायिक प्रक्रिया को पंगु बनाया जा रहा है, जिससे मजदूर न्याय की आशा लेकर उनके पास जाना ही बंद कर दे और सरकार के चहेते उद्यमियों और पूंजीपतियों को बिना मौजूदा कानूनों में बदलाव के ही मनमाने शोषण की छूट मिल जाए।
बैठक में उपस्थित मजदूर नेताओं प्रेम नाथ राय सीटू, दिनकर कपूर वर्कर्स फ्रंट, राम सूरत बीएमएस, प्रमोद पटेल तियूसिसी, राकेशआदि पांडेय एक एम के पी, और श्रम कानून सलाहकार एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश यादव,वरिष्ठ प्रतिनिधि एवम अधिवक्तागण कीर्तिकार त्रिपाठी, ए एम त्रिपाठी, मनोज कुमार साहू, प्रशांत कुमार गुप्ता, विद्या सागर खैरवाल, रोहित कुमार मिश्र, श्रीकांत त्रिपाठी, वरुण कुमार दीक्षित (हरदोई), आनंद कुमार (झांसी), ने आह्वान किया की ट्रेड यूनियनों और सभी न्यायप्रिय लोगों को ऐसी अराजकता को बढ़ावा देने वाली प्रिवित्त का एकजुट होकर पुरजोर विरोध करना चाहिए।
और सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया गया कि शीघ्र ही शासन को प्रतिवेदन देकर पीठासीन अधिकारियो को विधि विपरीत ढंग से दिए गए अतिरिक्त प्रभार को समाप्त करके पीठासीन अधिकारियो और कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरे जाने, श्रम न्यायालय और न्यायाधिकरण तथा श्रम विभाग को आधारभूत संसाधन और बजट उपलब्ध सुनिश्चित कराने की मांग की जाएगी और यदि सरकार ने दो सप्ताह में ठोस कार्यवाही नही की तो आंदोलन के साथ साथ वैधानिक कार्यवाही अपनाई जाएगी।
बैठक की अध्यक्षता श्रम कानून सलाहकार एसोसिएशन के अध्यक्ष बसंत कुमार सिंह ने किया।
बैठक श्रमिक नेता जितेंद्र तिवारी, विद्या कांत तिवारी, फूल चंद्र, उत्तम यादव, विमल कुमार यादव, और विपिन कुमार तिवारी भी उपस्थित थे।