लखनऊ। राजनितिक सामाजिक संगठनों द्वारा रूमी गेट से घंटा घर तक तिरंगा यात्रा निकला गया , जिसमें मुख्य रूप से सर्व जन सेवा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आमिर कुरैशी, राष्ट्रय भागय दरी आंदोलन के राष्ट्रिय संयोजक पि सी कुरील, सय्यद जलालुद्दीन , इरशाद अहमद सिद्दीक़ी, शराब बंदी संघर्ष समिति के राष्ट्र्य अध्यक्ष मुर्तज़ा अली, शारुख ग़ाज़ी, अमन ग़ाज़ी, रेहान कुरैशी, मोहम्मद अफ़ज़ल, शहाबुद्दीन कुरैशी, मोहम्मद शारुख, मोहम्मद नदीम, ज़ीशान कुरैशी, मुदस्सिर कुरैशी आदि गणमान उपस्तिथ लोगों से प्रोग्राम के आयोजक राष्ट्रिय सामाजिक संगठन के संयोजक मोहम्मद आफ़ाक़ ने कहा कि अहिंसा की नीति का अनुसरण कर हमें आजादी दिलाई।
यह महान नेता हमारे देश की आजादी और राजनीति के प्रेरणा स्रोत है। आज लोग बहादुर शाह ज़फर, महात्मा गांधी, मौलाना आजाद, पंडित नेहरू, संविधान के महा नायक डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर को छोड़कर दूसरे लोगों को याद करते हैं ।
जो इस आजादी की लड़ाई के प्रथम सेनानी थे उन्हें याद नहीं करते। उन लोगों को याद किया जाता है जिनका आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है इसलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे लोगों को खासतौर से इस अवसर पर याद किया जाए जिनका आजादी की लड़ाई में विशेष योगदान रहा है।
राष्ट् भागेदारी आंदोलन के राष्ट्रिय संयोजक पिसी कुरील कार्यक्रम की अध्यक्षता कर ते हुए मोहम्मद आफ़ाक़ की बातों की समर्थन करते हुवे कहा की 2014 से आर एस एस के इशारे पे चलने वाली भाजपा सरकार आई है दलित, पिछड़े, मुसलमानों के महां पुरसों के नाम को मिटाना चाहती है यह भारत वासियों के लिए चिंता का विषय है।
सर्व जन सेवा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आमिर कुरैशी ने प्रशासन व्यवस्था पर दुख व्यक्त किया कहा कि ऐसा प्रतीत होता है प्रशासन हमारी आजादी छीन लेना चाहता है। आज स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी के कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए हमें प्रशासन से अनुमति लेना पड़ती है। जो गलत है और यह व्यवस्था अंग्रेजों के शासनकाल की याद दिलाती है।
उन्होंने कहा कि देश की जनता को यह आजादी होना चाहिए कि वह खुलकर कम से कम छोटे जश्न आजादी के साथ मना सके और इसके लिए प्रशासन से उन्हें अनुमति न लेना पड़े छोटे-छोटे कार्यक्रमों के आयोजन के लिए प्रशासन से अनुमति लेने से लोकतंत्र की भावना का हनन होता है और जनता आजादी और लोकतंत्र का पूरा मजा नहीं ले पाती है।