मानव संसाधन और कौशल विकास की बैठक में रोजगार और प्रतिभा संकटपर चर्चा


अजय सिंह
लखनऊ। देश में रोजगार और प्रतिभा संकट को हल करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल के तहत, भारत के शीर्ष मानव संसाधन (एचआर) और कौशल विकास क्षेत्र के दिग्गज शुक्रवार को दिल्ली में एकत्र हुए। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) और सोसाइटी फॉर ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट (एसएचआरएम) इंडिया के सहयोग से आयोजित इस बैठक का उद्देश्य तेजी से बदलती दुनिया में भविष्य के लिए तैयार कार्यबल तैयार करना और कौशल विकास के जरिए देश को रोजगार संकट से उबारना था।

यह पहल खासतौर पर तकनीकी प्रगति और महामारी के बाद काम की बदलती प्रकृति को ध्यान में रखते हुए की गई है, जहां उद्योग और कॉरपोरेट जगत के वरिष्ठ एचआर पेशेवरों ने पुनःकौशल (रीस्किलिंग) और उन्नत कौशल (अपस्किलिंग) के जरिए कार्यबल की दक्षता बढ़ाने पर गहन चर्चा की।

एनएसडीसी के सीईओ वेद मणि तिवारी ने कहा, “यह साझेदारी प्रधानमंत्री के कौशल भारत मिशन को सफल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एचआर के पास पूरे कार्यबल की प्रतिभा पाइपलाइन पर नजर होती है और इसलिए कौशल अंतर को पाटने के लिए कर्मचारियों को पुनःकौशल और उन्नत कौशल प्रदान करना आवश्यक है। यह केवल कर्मचारियों की दक्षता को बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका लाभ कंपनी और पूरे उद्योग स्तर पर दिखाई देना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “भारत को 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कौशल विकास को तेज करना बेहद जरूरी है। वैश्विक कार्यबल में हर चौथा कामगार भारतीय होगा, इसलिए हमारे युवाओं को सही कौशल से लैस करना न सिर्फ विकास के लिए, बल्कि इस जनसांख्यिकी लाभ को हर भारतीय तक पहुंचाने के लिए भी आवश्यक है।”

एसएचआरएम इंडिया एपीएसी और एमईएनए की सीईओ अचल खन्ना ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “हम एक ऐसा कुशल और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए एनएसडीसी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जो भविष्य की चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार हो। एचआर लीडरशिप काउंसिल कनेक्ट के माध्यम से हम एक ऐसा मंच बना रहे हैं, जो कॉरपोरेट और कौशल विकास जगत के बीच सेतु का काम करेगा।”

बैठक के दौरान उद्योगों के वरिष्ठ नेतृत्व और एचआर प्रमुखों ने कौशल अंतर और नई तकनीकों के कारण उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की। एनएसडीसी के एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में देश में 103 मिलियन कार्यबल की मांग है, जबकि आपूर्ति सिर्फ 74 मिलियन है, जो एक बड़े कौशल अंतर को दर्शाती है। विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा, हरित नौकरियां, सेमीकंडक्टर निर्माण, ड्रोन तकनीक और एआई जैसे उभरते क्षेत्रों में कुशल कार्यबल की अत्यधिक आवश्यकता है।

इस बैठक में आईटी, दूरसंचार, ऊर्जा और ऑटोमोबाइल जैसे विविध क्षेत्रों के प्रतिभागियों ने भी भाग लिया और अपने अनुभवों को साझा किया। सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि कौशल विकास को प्राथमिकता देना और नई तकनीकों के अनुरूप कार्यबल को तैयार करना समय की मांग है।

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