अच्छे विचारों से मन के स्नान को कहते हैं ध्यान : डॉ. एस.एल यादव


🔴 प्रथम अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस के अवसर पर भव्य राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

अजय सिंह
लखनऊ। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित प्रथम अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस के शुभ अवसर पर नेशनल डायरेक्टरी (प्राकृतिक चिकित्सा,योग एवं नैसर्गिक चिकित्सा)और इंटरनेशनल नेचुरोपैथीं आर्गेनाइजेशन (INO) उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में ध्यान योग विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आनलाईन आयोजन किया गया लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल महाराष्ट्र के पुणे कानपुर आईंआईंटी सहित देश अलग अलग हिस्से से वरिष्ठ डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने अपने विचार रखेl

इस वेबिनार में देश के प्रख्यात ध्यान योग विशेषज्ञ डॉ० जीतेन्द्र आर्या पुणे, योगऋषि ओम डा० प्रकाश आनंद कानपुर एवं डॉ० दीपेश्वर सिंह एसो० प्रोफेसर योग बिभाग बी.बी.ए.यू.लखनऊ ने अपने अपने विचार रखे l

डॉ० दीपेश्वर सिंह ने ध्यान के बैज्ञानिक स्वरुप का बिस्तर से वर्णन किया l डॉ० सिंह ने बताया कि मन अत्यंत चंचल एवं गतिमान है जिसे नियंत्रण मे करना अत्यंत आवश्यक है l अगर इसे नियंत्रित नही किया गया तों यही सभी दुखो का कारण बनता है l चूँकि मानसिक विकार उतपन्न होने से बुद्धि का नाश होने लगता है और यदि बुद्धि का नाश हो जाये तों व्यक्ति का नाश होना तय है इसलिए ध्यान के माध्यम से बुद्धि को नाश होने से बचाया जा सकता है।

योगऋषि डा० ओम प्रकाश आनंद ने ध्यान को परिभाषित करते हुए बताया कि सिर्फ आँख बंद करना ही ध्यान नही है ज़ब तक किसी योग्य ध्यान योग बिद का साथ न मिले तों इसे कर पाना कठिन कार्य है उन्होंने ध्यान की बिभिन्न विधियों का जिक्र किया जिसमे विपशना, भावातीत, नासिका अग्र भाग, साक्षी ध्यान के बारे मे बताया एवं साक्षी ध्यान का अभ्यास भी कराया!

महाराष्ट्र पुणे के डॉ. जीतेन्द्र आर्या ने ध्यान को लम्बा जीवन जीने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साधन बताया है। डॉ आर्या ने बताया कि ध्यान की अनेक बिधियों में से किसी एक विधि का भी अगर व्यक्ति जीवन में अपना ले तों कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

डॉ. एस एल यादव वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ,IIT कानपुर ने अच्छे विचारों से मन के स्नान को ध्यान बताया।
एवं किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिस यान (साधन) का इस्तेमाल किया जाता है उसे ध्यान कहते है। चूँकि ध्यान, अष्टांग योग का सातवाँ पायदान है इसलिए उसके पहले के पायदान (यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा ) का अगर अभ्यास किया जाये तों ध्यान करना आसान हो जाता है।

प्रोग्राम की शुरुआत डॉ. श्यामलीं चक्रवर्ती ने मन्त्रोंचारण के साथ एवं डॉ उर्मिला यादव ने शंख ध्वनि से किया।

डॉ. नन्दलाल जिज्ञासु वरिष्ठ प्राकृतिक चिकित्सक एवं योग विशेषज्ञ बलरामपुर हॉस्पिटल,लखनऊ ने सभी वक्ताओ का परिचय कराया एवं वहाँ के सभी पैरा मेडिकल के सभी छात्र छात्राओं ने ध्यान योग कार्यक्रम में शामिल हुए।
डॉ० कृष्ण कुमार बिहार ने सभी का स्वागत किया।

डॉ० एल०के०रॉय वरिष्ठ योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक एवं प्रदेश महासचिव INO, यूपी ने सभी प्रतिभागियों को आभार ज्ञापित किया l

इस वेविनार में डा०अनिल आनंदम डा० पूनम रानी,डा०सुमिता रॉय,डा०सोनाली धनवानी, डा०सुदीप कुमार, डा० मीनू मोहन,डा० आशीष कुमार,डा०सरिता दुबे,डा०संतोष पाण्डेय,डा० प्रीति,डा० शिल्पी,डा० मुरलीधर,मि०विक्रांत सहित पूरे भारत वर्ष से विभिन्न शिक्षण संस्थानों से बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया एवं प्रथम विश्व ध्यान दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया।

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